Thursday, 7 April 2011

A great start for humanity by Anna Hazare.............Jeet Hogi

लोकपाल विधेयक पर केंद्र सरकार और अन्ना हजारे के बीच गुरुवार को औपचारिक बातचीत की शुरुआत हो गई। दो दौर के बातचीत फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।

शुक्रवार को बातचीत फिर होगी। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हजारे के मुद्दों से सहमति जताते हुए उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की है। सोनिया ने कहा है कि हजारे ने जो मुद्दे उठाए हैं वे जनता की गंभीर चिंता से जुड़े हुए हैं। इस मामले में कारगर कानून होना चाहिए। मुझे भरोसा है कि अन्ना हजारे के विचारों पर सरकार पूरा ध्यान देगी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से तत्काल लड़ने की जरूरत पर दो राय नहीं हो सकतीं। अन्ना ने सोनिया की यह अपील ठुकरा दी।

हजारे के अनशन का गुरुवार को तीसरा दिन था। सरकार ने हजारे से बात करने के लिए केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को जिम्मेदारी सौंपी है। हजारे के प्रतिनिधि के तौर पर स्वामी अग्निवेश और सूचना अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सिब्बल से दो दौर की बातचीत की। बातचीत के बाद सिब्बल ने कहा कि दो मुद्दों को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर सहमति है।



इन मसलों पर सहमति 
1. अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की मांग थी कि बिल के लिए गैर-सरकारी लोगों के साथ मिलकर सरकार संयुक्त समिति गठित करे। सरकार इसके लिए सहमत है। प्रस्तावित समिति में पांच सदस्य सरकार की तरफ से पांच गैर-सरकारी होंगे।

2. हजारे का कहना था कि लोकपाल से जुड़ा बिल पहले से ज्यादा सख्त हो, इस बात पर भी सरकार सहमत है।

3. हजारे चाहते थे कि बिल को जल्द से जल्द कानून की शक्ल दी जाए। सरकार लोकपाल बिल को संसद के मॉनसून सत्र में लाने को तैयार है।


इन मुद्दों पर नहीं बनी बात 
4. सरकार पहले समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी या किसी और वरिष्ठ मंत्री को बनाने की बात कर रही थी।मगर फिर वह किसी रिटायर्ड जज पर सहमत हो गई है। लेकिन हजारे के समर्थक अध्यक्ष पद पर किसी गैर सरकारीव्यक्ति को चाहते हैं। हालांकि हजारे ने इस बात का खंडन किया कि वे समिति का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा किवे सलाहकार या सदस्य की हैसियत से समिति में रहेंगे। 

5. हजारे के लोग समिति को आधिकारिक स्वरूप देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सरकारी अधिसूचना जारी करने कीमांग की गई है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि समिति के मसौदे को आधिकारिक रूप से फाइनल कैबिनेट ही कर सकतीहै। उसके बाद इसे संसद को पास करना है। कानून बनाने का काम गैर सरकारी लोगों को सौंपने की न तो संविधानइजाजत देता है और न ही ऐसी किसी सरकार के समय परंपरा रही हैं । 

यह लड़ाई महाराष्ट्र के एक महाभृशट और एक इमानदर आदमी मॅ है जहा ईमानदार आदमी के साथ १२१ करोड़ लोगो का साथ है वही महाभृशट के साथ चन्द गधहार लोग है देखना है कौन जीतता पैसा या ईमानदारी
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Is muhim me shamil hokar ek naya kanun laye aur desh ko bure logo se bachaye.........
Anna Hum aapke sath hai pura desh aapke sath hai.......
Neel Shukla

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