Monday 11 April 2011

एक और नाम है भारत का वो है हिन्दुस्तान

बहुत दिनों से भारत के नाम को ले के हमारे इतिहास की किताबों में अजीब
अजीब बातें की जाती हैं और ये सब अंग्रेजों के बताये रास्ते पर ही
हमेंपढ़ाया गया है।भारत के कई नाम हैं, जैसे जम्बूदीप,आर्यावर्त, भारत,
हिन्दुस्तान और इंडिया।पहले दो को छोड़ के मैं बाकि तीन के बारे में अपने
विचार लिख रहा हूँ उम्मीद है क़ि आपको मेरे तर्क पसंद आयेंगे।
भारत
भारत का नाम राजा दुष्यन्त के पुत्र भरत के नाम पर रखा गया था ऐसी बातें
हम पढ़ते आ रहे हैं।ये सिर्फ एक कल्पना है और कुछ नहीं।क्यों क़ि आप
विश्व के किसी भी धर्म और संस्कृति को देखेंगे तो पाएंगे क़ि वो भूमि को
मातृशक्ति के रूप में ही मानते हैं और हमारे देश में इसे तो मातृभूमि ही
कहा जाता है और भारत माता के नाम से हम जयकारा लगाते हैं।भरत नाम के जो
राजा थे वो पुरुष थे और उनके नाम पर भारत का नाम रखा गया होगा ये सही
नहीं है।भारत कोई आज का नाम नहीं है, ये तो अनंत काल से चला आ रहा है,
हमारे वेदों में, पुराणों में, ब्राम्हण ग्रंथों में, रामायण में,
महाभारत में, गीता में हर जगह इस भूमि को भारत ही संबोधित किया गया है।
तो ये भारत नाम आया कैसे ?

भारत बना है दो शब्द मिला के भा+रत =भारत।"भा" का मतलब हुआ "ज्ञान" और
"रत" का मतलब हुआ "लगा हुआ" अब दोनों को आप जोड़िएगा तो मतलब हुआ "जो
ज्ञान में रत हो" यानि हर समय जो ज्ञान प्राप्ति में लगा हुआ हो वो है
भारत।और इसके प्रमाण भी हैं क़ि हमने दुनिया को अकाट्य और अतुलनीय ज्ञान
दिया है।और ये भारत नाम, माँ भारती से निकला है और ये माँ भारती है
विद्या की देवी सरस्वती जी।और इसके अलावा भारत का जो क्षेत्र था वो बहुत
विशाल था, ये आज के अफगानिस्तान से ले के इधर बर्मा (म्यांमार) तक और
हिमालय के नीचे से ले के समुद्र तक।अब आज के सन्दर्भ में इसे देखे तो
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, नेपाल, भारत, बंग्लादेश और बर्मा, ये था
अखंड भारत या भारत वर्ष।भारत नाम लेते ही विशालता का अनुभव होता है।

हिन्दुस्तान
एक और नाम है भारत का वो है हिन्दुस्तान और देखिये कैसी मूर्खतापूर्ण
तर्क दी जाती है हिन्दुस्तान नाम के पक्ष में।हम लोगों कोपढ़ाया गया  क़ि
जब मध्य पूर्व से आक्रमणकारी भारत में आते थे तो सिन्धु नदी के कारण इसे
हिन्दुस्तान कहने लगे।ये इतिहास लिखने वाले लोग जब इतिहास लिखने बैठे
होंगे तो वो भारत के पंजाब को ही भारत का बोर्डर समझते थे इसलिए उनके इस
कहानी में सिन्धु नदी बीच में आ जाती है, जब क़ि उस समय का भारत
अफगानिस्तान से शुरू होता था।अरे पंजाब में तो पाँच नदियाँ बहती हैं
तुम्हे बार बार सिन्धु नदी ही क्यों दिखाई देती है भाई।सिन्धु नदी कभी भी
हमारी पहचान नहीं थी और न होगी।बार बार सिन्धु नदी को हमारी पहचान बनाने
की असफल कोशिश की गयी।और मध्य पूर्व वाले कोई ऐसे मुर्ख नहीं थे जो "स"
को "ह" बोलते थे।

उन्होंने यहाँ भारत में मौजूद हिन्दुओं और हिन्दू धर्म के कारण इस जगह को
हिन्दुस्तान कहना शुरू किया।ये हिन्दुस्तान भी दो शब्दों को मिला के बना
है।हिन्दू + स्तान=हिन्दुस्तान।"स्तान" एक पर्शियन शब्द है और इसका मतलब
होता है जगह/स्थान/देश।ये संस्कृत के शब्द स्थान से पर्शियन में लिया गया
है।हिन्दुस्तान का मतलब था हिन्दुओं का स्थान/हिन्दुओं का जगह/हिन्दुओं
का देश।जैसे पाकिस्तान (पाक+स्तान=पाकिस्तान, हिंदी में इसका मतलब हुआ
पवित्र स्थान/पवित्र जगह/पवित्र देश)।अब आप समझ गए होंगे इस "स्तान" का
मतलब।ऐसे ही "स्तान" वाले कुछ देश हैं जैसे अफगानिस्तान (अफगानों का
देश), किर्गिजस्तान (किर्गीजों का देश), कजाकिस्तान (कजाकों का देश),
तुर्कमेनिस्तान (तुर्क्मानों का देश), आदि आदि।ये जो देशों के नाम अभी
मैंने बताये ये उनके नस्ल या जाति के नाम पर आधारित हैं। तो ये दिमाग से
निकाल दीजिये क़ि सिन्धु के नाम पर हमारे देश का नाम हिन्दुस्तान पड़ा
था।यहाँ रहने वाले हिन्धुओं और हिन्दू धर्म की वजह से उन्होंने हमारे देश
को हिन्दुस्तान नाम दिया था।हमारे लिए भारत और उनके लिए हिन्दुस्तान।
इंडिया
अंग्रेज जब भारत आये तो उन्होंने बहुत बारीकी से अध्ययन किया भारत का और
उन्होंने एक सूची बनाई क़ि उन्हें भारत में क्या करना होगा क़ि भारत को
गुलाम बनाया जा सके।पहला तो इसके शिक्षा तंत्र को ध्वस्त करना होगा,
दूसरा इसके इसके तकनीकी संरचना (Techonological Infrastructure) को तोडना
होगा, तीसरा कृषि क्षेत्र को बर्बाद करना होगा।और उन्होंने उसी हिसाब से
काम भी किया और वो पूरी तरह सफल रहे अपने इस काम में। आप जानते हैं क़ि
जब भारत स्वतंत्र हो रहा था तो अंग्रेजों ने संधि में ये प्रावधान डाला
था क़ि भारत के जो रजवाड़े जिस तरफ जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं।मतलब
कोई राजा भारत के साथ मिलना चाहता है वो भारत में मिल सकता है और जो
पाकिस्तान में जाना चाहता है वो पाकिस्तान में मिल सकता है।इसके अलावा सब
को ये छुट था क़ि अगर आप अपना स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहते हैं तो
स्वतंत्र भी रह सकते हैं।

उस समय भारत में 565 रजवाड़े हुआ करते थे और अंग्रेज तो चाहते ही थे क़ि
भारत के 565 टुकड़े हो जाएँ नहीं तो वे ऐसा कानून क्यों बनाते।इसी कानून
का नतीजा था क़ि कई राज्य ऐसे भी हुए जिन्होंने ये फैसला किया था क़ि वे
ना तो भारत में जायेंगे और ना पाकिस्तान में।ऐसे जो राज्य थे, वो थे
कोयम्बटूर, त्रावनकोर, हैदराबाद, जूनागढ़ और जम्मू और कश्मीर। ये भारत
क़ि आजादी का नहीं भारत की बर्बादी का कानून था।सरदार वल्लभ भाई पटेल को
लगा क़ि अगर ये कानून लागू हुआ और कानून लागू होने के बाद बहुत से राजा
ये बात बोलना शुरू कर देंगे क़ि इस कानून के आधार पर तो हमें स्वतंत्र
राज्य रखने का अधिकार है, स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का अधिकार है तब तो
बहुत बड़ा संकट पैदा हो जायेगा।तो सरदार पटेल ने पहले से ही एक अभियान
चलाया था क़ि ज्यादा से ज्यादा राजाओं और महाराजाओं को भारतीय राष्ट्र
में जोड़ा जा सके और इसी के लिए वो समझौते कर रहे थे और करवा रहे थे।और
उनकी योजना ये थी क़ि अंग्रेजों की सरकार जिस दिन तक ये कानून लागू करे
उस दिन तक ज्यादा से ज्यादा राज्य और रियासतें भारत में शामिल हो जाएँ और
उनके समझौते भारत सरकार के साथ हो जाएँ और ये काम उन्होंने बखूबी  किया
भी और अकेले दम पर किया।बहुत कम लोग इस तरह का काम कर सकते हैं जो सरदार
पटेल ने किया था।इस तरह की साजिस की थी अंग्रेजों ने भारत को टुकड़ों में
बाटने की।

अब सवाल उठता है क़ि ये भारत का नाम इंडिया क्यों रखा अंग्रेजों ने ?
हमें बचपन सेपढ़ाया गया क़ि अंग्रेज भारत आये तो इन्डस नदी और सिन्धु
घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization)  के नाम पर इन्होने भारत को
इंडिया कहना शुरू किया।पहले तो मैं बता दूँ क़ि अंग्रेजों ने कभी भी
इन्डस नदी के रास्ते भारत में प्रवेश नहीं किया था, वो भारत जब भी आये तो
समुद्र के रास्ते से आये।और ये सिन्धु या इन्डस नदी भारत की कोई ऐसी
महत्वपूर्ण नदी नहीं थी गंगा जी की तरह, जो हमारे भारत की पहचान इस
सिन्धु नदी से बनती या बनी होगी |

दूसरी बात ये क़ि सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज अंग्रेजों के भारत में रहते
हुए हुई थी न क़ि अंग्रेजों के आने के पहले, इस की पहली जानकारी 1842 में
मिली थी और बाद में 1920 में इस पर ज्यादा काम हुआ।और उसके पहले मैकाले
का बयान 1835 में आया था जो उसने ब्रिटिश पार्लियामेंट में दिया था तब
उसने भारत को इंडिया ही कह के संबोधित किया था और उसके पहले के भी जितने
दस्तावेज हैं उन सब में भारत को इंडिया ही बताया गया है।तो ये कुतर्क बार
बार देना क़ि भारत का नाम Indus River और Indus Valley Civilization के
नाम पर था वो बिलकुल गलत और भ्रामक है।

अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम उधार लिया था ग्रीक से, भारत को ग्रीक भाषा
में इंडिया कहते और लिखते हैं।आप जब भारत को ग्रीक लिपि में लिखेंगे तो
वो होगा ινδια।(आप इस लाल से लिखे हिस्से  को कॉपी करके पेस्ट कीजिये
http://translate.google.com वेबसाइट के बाई तरफ के हिस्से में और
Language ग्रीक चुनिए और दाहिनी तरफ हिंदी चुनिए और जब आप Translate पर
क्लिक करेंगे तो वहां भारत लिखा जायेगा)।अंग्रेजों ने ये इंडिया नाम
ग्रीक लोगों की भाषा से लिया था, ग्रीक लोग इंडिया कहते थे उसका मतलब
भारत ही होता था लेकिन अंग्रेजों के रास्ते होते हुए अब हम भारत के लोग
भी भारत को इंडिया ही कहने लगे हैं, जो क़ि कहीं से भी भारत नहीं है।

अब सवाल उठता है क़ि भारत को अंग्रेजों ने आजादी के बाद भी इंडिया नाम से
संबोधित करने को क्यों कहा ? (सत्ता के हस्तांतरण समझौते में कहा गया है
क़ि "भारत का नाम INDIA रहेगा और सारी दुनिया में भारत का नाम इंडिया ही
प्रचारित किया जायेगा और सारे सरकारी दस्तावेजों में इसे इंडिया के ही
नाम से संबोधित किया जायेगा।हमारे और आपके लिए ये भारत है लेकिन
दस्तावेजों में ये इंडिया है |") और अंग्रेजों के इशारे पर उस समय हमारे
देश के कर्णधारों ने संविधान के प्रस्तावना में लिखा क़ि "India that is
Bharat " जब क़ि होना ये चाहिए था "Bharat that was India " लेकिन
दुर्भाग्य इस देश का क़ि ये भारत के जगह इंडिया हो गया।इसकी वजह है क़ि
अंग्रेज नहीं चाहते थे क़ि भारत फिर से पुराना भारत बने और फिर उसी उचाईं
को प्राप्त करे जो वो अंग्रेजों के आने के समय था।उन्हें डर था क़ि भारत
फिर से ज्ञान में रत रहने वाला न बन जाये।और भारत नाम से जो विशालता का
बोध होता है वो बोध इन्हें न हो जाये।जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है
अंग्रेजों ने भारत को खंड खंड में तोड़ने का पूरा तो पूरा प्रयास किया ही
था लेकिन भला हो सरदार पटेल का जिन्होंने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया था।

भारत और इंडिया में कई अंतर है, जैसे-
इंडिया competion पर चलता है और भारत cooperation पर |
इंडिया की theory है Survival of the fittest और भारत की theory है
Survival of all including the weakest |
इंडिया में ज्ञान डिग्री से मिलता है और भारत में ज्ञान सेवा से मिलता है |
इंडिया में Nuclear Family चलती है और भारत में Joint Family।
इंडिया में सिद्धांत है स्व हिताय स्व सुखाय और भारत में सिद्धांत है
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय।
इंडिया में "I " "मैं" चलता है और भारत में "हम" चलता है |

Saturday 9 April 2011

क्या है अन्ना हजारे का जनलोकपाल बिल...............Sath De Jane

कुछ समय से मैंने ये निर्णय लिया है की भारत के उन बातों के बारे में आप
सब लोगों को जानकारी दूँ जिनसे हमें भ्रमित किया जा रहा है। आप लोगों के
ज्ञान को मैं कम कर के नहीं आँक रहा हूँ लेकिन कई बातें ऐसी होती हैं जो
असल में वैसी होती नहीं है जैसा हमें बताया जाता है।  मसलन, भारत में
हमेशा ये पढ़ाया गया की भारत अंधेरों का देश था, भारत मदारियों का देश
था, भारत संपेरों का देश था, अंग्रेज़ आये तो उन्होंने हमें सब सिखाया,
हमें शिक्षित किया। अंग्रेज नहीं आते तो हमारे यहाँ पिछड़ापन ही पसरा
रहता, हम अंधेरों में ही घिरे रहते, वगैरह वगैरह । दुःख तो ज्यादा तब
होता है जब हमारे देश के प्रधानमंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री इस तरीके
की बात करते हैं । क्या हम वाकई अँधेरे में थे ? क्या हम वाकई जाहिल थे ?
क्या हम वाकई पिछड़े थे ? ये सवाल मेरे मन में हमेशा रहा । फिर मन ये जवाब
भी देता था की अगर हम वाकई पिछड़े थे तो क्या अंग्रेज यहाँ 250 साल घास
छिल रहे थे, उसके पहले पुर्तगाली आये, स्पैनिश आये, और बहुत से लोग आये।
मैं आप सब से पूछता हूँ की गरीब के घर में कोई रहता है क्या ? और उनको
सुधारने और अच्छा बनाने का ठेका कोई लेता है क्या? और वो भी गोरी चमड़ी
वाले? असंभव। इसी सिलसिले में मैंने कुछ तथ्य आप सब लोगों के सामने लाने
का संकल्प लिया है । आज पेश है पहली कड़ी ....
सन 1757 की प्लासी की लड़ाई
जैसा की आप सब जानते हैं की अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने का
अधिकार जहाँगीर ने 1618 में दिया था और 1618 से लेकर 1750 तक भारत के
अधिकांश राजाओं और राजवाड़ों को अंग्रेजों ने छल से कब्जे में ले लिया था
। बंगाल उनसे उस समय तक अछूता था। और उस समय बंगाल का नवाब था सिराजुदौला
। बहुत ही अच्छा शासक था, बहुत संस्कारवान था । मतलब अच्छे शासक के सभी
गुण उसमे मौजूद थे । अंग्रेजों का जो फ़ॉर्मूला था उस आधार पर वो उसके
पास भी गए व्यापार की अनुमति मांगने के लिए गए लेकिन सिराजुदौला ने कभी
भी उनको ये इज़ाज़त नहीं दी क्यों की उसके नाना ने उसको ये बताया था की सब
पर भरोसा करना लेकिन गोरों पर कभी नहीं और ये बातें उसके जेहन में हमेशा
रहीं इसलिए उसने अंग्रेजों को व्यापार की इज़ाज़त कभी नहीं दी । अंग्रेजों
ने कई बार बंगाल पर हमला किया लेकिन हमेशा हारे । मैं यहाँ स्पष्ट कर दूँ
की अंग्रेजों ने कभी भी युद्ध करके भारत में किसी राज्य को नहीं जीता था
वो हमेशा छल और साजिस से ये काम करते थे।

उस समय का बंगाल जो था वो बहुत बड़ा राज्य था उसमे शामिल था आज का प.
बंगाल, बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा, बंग्लादेश, पूर्वोत्तर के सातों राज्य और
म्यांमार (बर्मा) । हम जो इतिहास पढ़ते हैं उसमे बताया जाता है की पलासी
के युद्ध में अंग्रेजों और सिराजुदौला के बीच भयंकर लड़ाई हुई और
अंग्रेजों ने सिराजुदौला को हराया । लेकिन सच्चाई कुछ और है । मन में
हमेशा ये सवाल रहा की आखिर सिराजुदौला जैसा शासक हार कैसे गया और ये भी
सवाल मन में था की आखिर अंग्रेजों के पास कितने सिपाही थे और सिराजुदौला
के पास कितने सिपाही थे । भारत में पलासी के युद्ध के ऊपर जितनी भी
किताबें हैं उनमे से किसी में भी इस संख्या के बारे में जानकारी नहीं है
। इस युद्ध की जानकारी उपलब्ध है लन्दन के इंडिया हाउस लाइब्ररी में ।
बहुत बड़ी लाइब्ररी है और वहां भारत की गुलामी के समय के 20 हज़ार
दस्तावेज उपलब्ध है । वहां उपलब्ध दस्तावेज के हिसाब से अंग्रेजों के पास
पलासी के युद्ध के समय मात्र 300 सिपाही थे और सिराजुदौला के पास 18 हजार
सिपाही । किसी भी साधारण आदमी से आप ये सवाल कीजियेगा की एक तरफ 300
सिपाही और दूसरी तरफ 18 हजार सिपाही तो युद्ध कौन जीतेगा ? तो जवाब
मिलेगा की 18 हजार वाला लेकिन पलासी के युद्ध में 300 सिपाही वाले
अंग्रेज जीत गए और 18 हजार वाला सिराजुदौला हार गया । और अंग्रेजों के
House of Commons   में ये कहा जाता था की अंग्रेजों के 5 सिपाही = भारत
का एक सिपाही । तो सवाल ये उठता है की इतने मज़बूत 18 हजार सिपाही उन
कमजोर 300 सिपाहियों से हार कैसे गए ?

अंग्रेजी सेना का सेनापति था रोबर्ट क्लाइव और सिराजुदौला का सेनापति था
मीरजाफर । रोबर्ट क्लाइव ये जानता था की आमने सामने का युद्ध हुआ तो एक
घंटा भी नहीं लगेगा और हम युद्ध हार जायेंगे और क्लाइव ने कई बार चिठ्ठी
लिख के ब्रिटिश पार्लियामेंट को ये बताया भी था । इन दस्तावेजों में
क्लाइव की दो चिठियाँ भी हैं । जिसमे उसने ये प्रार्थना की है की अगर
पलासी का युद्ध जितना है तो मुझे और सिपाही दिए जाएँ । उसके जवाब में
ब्रिटिश पार्लियामेंट के तरफ से ये चिठ्ठी भेजी गयी थी की हम अभी (1757
में) नेपोलियन बोनापार्ट के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं और पलासी से ज्यादा
महत्वपूर्ण हमारे लिए ये युद्ध है और इस से ज्यादा सिपाही हम तुम्हे नहीं
दे सकते । तुम्हारे पास जो 300 सिपाही हैं उन्ही के साथ युद्ध करो ।
रोबर्ट क्लाइव ने तब अपने दो जासूस लगाये और उनसे कहा की जा के पता लगाओ
की सिराजुदौला के फ़ौज में कोई ऐसा आदमी है जिसे हम रिश्वत दे लालच दे और
रिश्वत के लालच में अपने देश से गद्दारी कर सके ।

उसके जासूसों ने ये पता लगा के बताया की हाँ उसकी सेना में एक आदमी ऐसा
है जो रिश्वत के नाम पर बंगाल को बेच सकता है और अगर आप उसे कुर्सी का
लालच दे तो वो बंगाल के सात पुश्तों को भी बेच सकता है । और वो आदमी था
मीरजाफर, और मीरजाफर ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो
कब बंगाल का नवाब बनेगा। ये बातें रोबर्ट क्लाइव को पता चली तो उसने
मीरजाफर को एक पत्र लिखा। ये पत्र भी उस दस्तावेज में उपलब्ध है । उसने
उस पत्र में दो ही बाते लिखी । पहला ये की " अगर तुम हमारे साथ दोस्ती
करो और ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ समझौता करो तो हम युद्ध जीतने के बाद
तुम्हे बंगाल का नवाब बना देंगे" और दूसरी बात की "जब तुम बंगाल के नवाब
हो जाओगे तो बंगाल की सारी सम्पति तुम्हारी हो जाएगी और उस सम्पति में से
5 % हमें दे देना और बाकि तुम जितना लूटना चाहो लुटते रहना" । मीरजाफर तो
दिन रात यही सपना देखा करता था तो उसने तुरत रोबर्ट क्लाइव को एक पत्र
लिखा की " मुझे आपकी दोनों शर्तें मंज़ूर हैं बताइए करना क्या है ? " तो
क्लाइव ने इस सम्बन्ध में अंतिम पत्र लिखा और कहा की " तुमको बस इतना
करना है की युद्ध जिस दिन शुरू होगा उस दिन आप अपने 18 हजार सिपाहियों से
कहना की वो मेरे सामने समर्पण कर दे । तो मीरजाफर ने कहा की ये हो जायेगा
लेकिन आप अपने जबान पर कायम रहिएगा । क्लाइव का जवाब था की हम बिलकुल
अपनी जबान पर कायम रहेंगे ।

और तथाकथित युद्ध शुरू हुआ 23 जून 1757 को और बंगाल के 18 हजार सिपाहियों
ने सेनापति मीरजाफर के कहने पर 40 मिनट के अन्दर समर्पण कर दिया और
रोबर्ट क्लाइव के 300 सिपाहियों ने बंगाल के 18 हजार सिपाहियों को बंदी
बना लिया और कलकत्ता के फोर्ट विलियम में बंद कर दिया और 10 दिनों तक
सबों को भूखा प्यासा रखा और ग्यारहवें दिन सब की हत्या करवा दी । और
हत्या करवाने में मीरजाफर क्लाइव के साथ शामिल था । उसके बाद क्लाइव ने
मीरजाफर के साथ मिल कर मुर्शिदाबाद में सिराजुदौला की हत्या करवाई । उस
समय मुर्शिदाबाद बंगाल की राजधानी हुआ करती थी । और फिर वादे के अनुसार
क्लाइव ने मीरजाफर को बंगाल का नवाब बना दिया । और बाद में क्लाइव ने
अपने हाथों से मीरजाफर को छुरा घोंप कर मार दिया ।

इसके बाद रोबर्ट क्लाइव ने कलकत्ता को लूटा और 900 पानी के जहाज सोना,
चांदी, हीरा, जवाहरात लन्दन ले गया । वहां के संसद में जब क्लाइव गया तो
वहां के प्रधानमंत्री ने उस से पूछा की ये भारत से लुट के तुम ले के आये
हो तो क्लाइव ने कहा की नहीं इसे मैं भारत के एक शहर कलकत्ता से लूट के
लाया हूँ । कितना होगा ये ? मैंने इसकी गणना तो नहीं क़ि है लेकिन 000
Million स्टर्लिंग पौंड का ये होगा (1 Million = 10 लाख) । उस समय (1757
) के स्टर्लिंग पौंड के कीमत में 300 गुना कमी आयी है और आज के हिसाब से
उसका मूल्याङ्कन किया जाये तो ये होगा 1000X1000000X300X80 । Calculator
तो फेल हो जायेगा  । रॉबर्ट क्लाइव अकेला नहीं था ऐसे 84 अधिकारी भारत
आये और सब ने भारत को बेहिसाब लूटा । वारेन हेस्टिंग्स, कर्जन,लिलिथ्गो,
डिकेंस, बेंटिक, कार्नवालिस जैसे लोग आते रहे और भारत को लुटते रहे। ये
थी प्लासी के युद्ध की असली कहानी । अगली बार 1757 से थोडा आगे बढूँगा ।

मीर जाफर ने अपनी हार और क्लाइव की जीत के बाद कहा की "अंग्रेजो आओ
तुम्हारा स्वागत है इस देश में तुम्हे जितना लुटा है लूटो बस मुझे कुछ
पैसा दे दो और कुर्सी दे दो" । 1757 में तो सिर्फ एक मीरजाफर था जिसे
कुर्सी और पैसे का लालच था अभी तो हजारों मीरजाफर इस देश में पैदा हो गए
हैं जो वही भाषा बोल रहे हैं । जो वैसे ही देश को गुलाम बनाने में लगे
हुए हैं जैसे मीरजाफर ने इस देश को गुलाम बनाया था । सब पार्टी के नेता
एक ही सोच रखते हैं चाहे वो ABC पार्टी के हों या XYZ पार्टी के । आप
किसी को अच्छा मत समझिएगा क्यों की इन 64 सालों में सब ने चाहे वो
राष्ट्रीय पार्टी हो या प्रादेशिक पार्टी,  प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से
सत्ता का स्वाद तो सबो ने चखा ही है ।



Ek Desh Bhakt Jo Seva Karna Chahata hai Desh Ki........
Please Sab Sath Do Isme...........Jai Hind Jai Bharat

Thursday 7 April 2011

A great start for humanity by Anna Hazare.............Jeet Hogi

लोकपाल विधेयक पर केंद्र सरकार और अन्ना हजारे के बीच गुरुवार को औपचारिक बातचीत की शुरुआत हो गई। दो दौर के बातचीत फिलहाल किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।

शुक्रवार को बातचीत फिर होगी। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हजारे के मुद्दों से सहमति जताते हुए उनसे अनशन समाप्त करने की अपील की है। सोनिया ने कहा है कि हजारे ने जो मुद्दे उठाए हैं वे जनता की गंभीर चिंता से जुड़े हुए हैं। इस मामले में कारगर कानून होना चाहिए। मुझे भरोसा है कि अन्ना हजारे के विचारों पर सरकार पूरा ध्यान देगी। सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार से तत्काल लड़ने की जरूरत पर दो राय नहीं हो सकतीं। अन्ना ने सोनिया की यह अपील ठुकरा दी।

हजारे के अनशन का गुरुवार को तीसरा दिन था। सरकार ने हजारे से बात करने के लिए केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को जिम्मेदारी सौंपी है। हजारे के प्रतिनिधि के तौर पर स्वामी अग्निवेश और सूचना अधिकार कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने सिब्बल से दो दौर की बातचीत की। बातचीत के बाद सिब्बल ने कहा कि दो मुद्दों को छोड़कर बाकी सभी मुद्दों पर सहमति है।



इन मसलों पर सहमति 
1. अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों की मांग थी कि बिल के लिए गैर-सरकारी लोगों के साथ मिलकर सरकार संयुक्त समिति गठित करे। सरकार इसके लिए सहमत है। प्रस्तावित समिति में पांच सदस्य सरकार की तरफ से पांच गैर-सरकारी होंगे।

2. हजारे का कहना था कि लोकपाल से जुड़ा बिल पहले से ज्यादा सख्त हो, इस बात पर भी सरकार सहमत है।

3. हजारे चाहते थे कि बिल को जल्द से जल्द कानून की शक्ल दी जाए। सरकार लोकपाल बिल को संसद के मॉनसून सत्र में लाने को तैयार है।


इन मुद्दों पर नहीं बनी बात 
4. सरकार पहले समिति का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री प्रणव मुखर्जी या किसी और वरिष्ठ मंत्री को बनाने की बात कर रही थी।मगर फिर वह किसी रिटायर्ड जज पर सहमत हो गई है। लेकिन हजारे के समर्थक अध्यक्ष पद पर किसी गैर सरकारीव्यक्ति को चाहते हैं। हालांकि हजारे ने इस बात का खंडन किया कि वे समिति का अध्यक्ष बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा किवे सलाहकार या सदस्य की हैसियत से समिति में रहेंगे। 

5. हजारे के लोग समिति को आधिकारिक स्वरूप देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सरकारी अधिसूचना जारी करने कीमांग की गई है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि समिति के मसौदे को आधिकारिक रूप से फाइनल कैबिनेट ही कर सकतीहै। उसके बाद इसे संसद को पास करना है। कानून बनाने का काम गैर सरकारी लोगों को सौंपने की न तो संविधानइजाजत देता है और न ही ऐसी किसी सरकार के समय परंपरा रही हैं । 

यह लड़ाई महाराष्ट्र के एक महाभृशट और एक इमानदर आदमी मॅ है जहा ईमानदार आदमी के साथ १२१ करोड़ लोगो का साथ है वही महाभृशट के साथ चन्द गधहार लोग है देखना है कौन जीतता पैसा या ईमानदारी
anna.jpg


Is muhim me shamil hokar ek naya kanun laye aur desh ko bure logo se bachaye.........
Anna Hum aapke sath hai pura desh aapke sath hai.......
Neel Shukla

Monday 4 April 2011

wOrLd CuP cHaMpIoN 2011..............InDiA............. JAI HO HIND

JAI HO HIND JAI HO BHARAT

Is JuSt A sTaRt: Is JuSt A sTaRt



wOrLd CuP cHaMpIoN 2011..............InDiA............. JAI HO HIND

क्रिकेट का नया बादशाह

माही ब्रिगेड ने 28 साल बाद इतिहास दोहराते हुए टीम इंडिया को क्रिकेट का नया बादशाह बना दिया है। विश्व चैंपियन बनकर टीम ने भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के बरसों पुराने ख्वाब को भी पूरा कर दिया है। शनिवार को मुंबई में हुए महासंग्राम में भारत ने श्रीलंका को हराकर दूसरी बार विश्व खिताब पर कब्जा जमा लिया।


CONGRATESSS TEAM INDIA.....
this is the time to cheer up... this is the time to enjoy... this is UNFORGETABLE moment by anyone of INDIAN


we all're proud of you The Men in Blue


but..but..but


think bout those poor hands who were clapping on your every single boundary... think about those poor people who prayed to


god to bring the world cup home....


now you are playing with lots of awards and prize money but some people in our contry still needs financial help

think about those... do something for them

coz You really can do something.....

Let every one remember in and around the world REMEMBER my comment before we start the world cup:


I have said that let everyone hear that INDIA 'go' INDIA 'went' INDIA 'gone' INDIA celebrated and INDIA inherited the WORLD CUP


for INDIA and INDIANS........


GO INDIA GO!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!


HONOR TO SACHIN AND DHONI'S PLAYERS


सचिन का सपना पूरा होने पर भावुक हो गए खिलाड़ी

मुंबई। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के लिए विश्व कप जीतने का वादा करने वाली टीम इंडिया ने जब श्रीलंका को फाइनल में हराकर इसे पूरा किया तो खिलाड़ी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके और इस चैंपियन बल्लेबाज को कंधे पर बिठाकर टीम

इंडिया ने वानखेड़े स्टेडियम का चक्कर लगाया













SAPANA SACH HUA 28 SAL BAD DESH KA


AUR 21 SAL BAD SACHIN KA


CRICKET KE BHAGWAN KA.......


JO APNI KHUSHIO KO ROK NA SAKE AUR RO PARE.......




JAI HO HIND JAI HO BHARAT